#सांझ_के_लिए #सांझ_के_लिए सांझ का झुटपुटा है, दिन लगभग लूट चुका है, साये उदासी के बड़ने लगे हैं, दिन के पैर भी थकने लगे हैं, रात अलसाती हुई जाग रही है, चांद के साथ चांदनी बरसने को तैयार, सितारों की टिमटिम ,