आगे का सफ़र तय करना है समान हल्का हो तो अच्छा। सोचा खुटी से बंधी यादें आजाद करतीं चलूं। हमारे घर की चाबियां का गुच्छा समुन्द्र में बहाती चलूं। जो रिश्ते नातों की स्नेह की गांठ कब से बांध रखी है अब हर गांठ विश्वास से खोलतीं चलूं। दोस्तों के साथ बिताए पलों को भी तो ज़रा हल्का करतीं चलूं। अलमारी में जो किताबों की परतें है , उन परतों को साफ़ करती चलूं। श्रद्धा और विश्वास से प्रभु चरणों में हर पल की हाजरी लगवातीं चलूं हे प्रभु ,! हाजरिया क़बूल करना। ©पूर्वार्थ #महादेवकीदीवानी