जमाने गुज़र गए तबियत से मुस्कुराए ... सोचती हूं तू थकती क्यों नहीं टकटकी लगाए... ये जो गई तो फ़िर लौटी क्यों नहीं नींद, तू ही बता ज़रा ? उसे भी आसमां तक पहुंचने का गुरूर है क्या....! या फिर वो भी समाज की बेड़ियों से मजबूर है क्या..!!-A.r #सफ़र_रूह_का ❤️✍️ #सुकून_की_तलाश