ये जो सड़कों पे लिखे हैं सैंकड़ों नारे तू ना देख तू अपना घर देख, आसमां में चमकते हुए तारे ना देख। रह तू दूर सियासत से ना ये है काम तुझ जैसे इन्सां का मुल्क का बेहतर जो करना है तो तू अपना फर्ज देख। क्यों उलझता है ये मसले ना सुलझे थे ना सुलझेंगे कभी रोटियां सेकते इन दीन ईमानों के ठेकेदारों के झांसों को ना देख। हुआ भाई भाई का दुश्मन ये कैसा दौर मुल्क में आया जला के मिल्कियत वतन की तू आतिशबाजी ना देख। हम हैं आवाम, हमें नाज है वतन की मिट्टी पर अपने करें मिट्टी से जो गद्दारी सर उनके तू कांधे पे ना देख। बातें करते हैं जमीर की उनकी जमीर भी तू देख उस्तरे वाले बन्दरों को हाकिम कभी बना कर ना देख। चढ़ा के आस्तीन अपनी जो बोले झूठ मजमों में जो,बने कभी तेरा कभी मेंरा ऐसे मौकापरस्तों को ना देख।। **Drishtant Yadav** #Poltics #Adb #मेरे_अल्फाज #DrishtantYadav(Arpit) #Mr_D✍️✍️