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" नज़र मिला के नजर चुरा रहे हैं , ये बात जाहिर कर

" नज़र मिला के नजर चुरा रहे हैं ,
ये बात जाहिर कर खुद गुनाह कबूल रहे ,
बात इसारो की ये भी कुछ गुंजाइश है ,
बात तो सलीके से कर रहे हैं हम ,
क्या बात जाहिर कर के क्या छुपा रहे हैं हम ." 

                                  --- रबिन्द्र राम " नज़र मिला के नजर चुरा रहे हैं ,
ये बात जाहिर कर खुद गुनाह कबूल रहे ,
बात इसारो की ये भी कुछ गुंजाइश है ,
बात तो सलीके से कर रहे हैं हम ,
क्या बात जाहिर कर के क्या छुपा रहे हैं हम ." 

                                  --- रबिन्द्र राम
" नज़र मिला के नजर चुरा रहे हैं ,
ये बात जाहिर कर खुद गुनाह कबूल रहे ,
बात इसारो की ये भी कुछ गुंजाइश है ,
बात तो सलीके से कर रहे हैं हम ,
क्या बात जाहिर कर के क्या छुपा रहे हैं हम ." 

                                  --- रबिन्द्र राम " नज़र मिला के नजर चुरा रहे हैं ,
ये बात जाहिर कर खुद गुनाह कबूल रहे ,
बात इसारो की ये भी कुछ गुंजाइश है ,
बात तो सलीके से कर रहे हैं हम ,
क्या बात जाहिर कर के क्या छुपा रहे हैं हम ." 

                                  --- रबिन्द्र राम