खुशियां गिरवी होती चली गई कहीं, वक्त के बाज़ार में। कभी तो खरीद लेंगे उन्हें, ये सोच कर , कीमत जोड़ते रहे हम। कभी ना आने वाले , कल के इंतजार में.. रेत की तरह मूट्ठी से फिसलती जा रही है जिंदगी, और हम अब भी खुशियों से आंख चुराये बैठे हैं... और मेरी जिंदगी तुम हो💕 नर्मदा पुत्री Esha ❤️love u sona💕💕💕💕💕💕💕 खुशियां #वक्त_और_जिन्दगी #रेतकीतरह #फिसलना #yqbaba #yqquotes #yqdidi