जैसे-जैसे अब हमारे दरमियाँ ये दूरियाँ बड़ने लगी हैं, ये जानते हुए भी न जाने क्यूँ ? इश्क़ भी तुमसे बड़ता जा रहा है और अब इस बात का इल्म है मुझे की न ये दूरियाँ कम होंगी और न इश्क़ कभी खत्म। जैसे-जैसे अब हमारे दरमियाँ ये दूरियाँ बड़ने लगी हैं, ये जानते हुए भी न जाने क्यूँ ? इश्क़ भी तुमसे बड़ता जा रहा है और अब इस बात का इल्म है मुझे की न ये दूरियाँ कम होंगी और न इश्क़ कभी खत्म। . . . .