बहोत कुछ कह कर भी कुछ बातें रह जाती हैं तुम चले जाते हैं यादें रह जाती हैं । करते हो रोज़ मिलने के वादें वादे टूट जाते हैं मुलाकातें रह जाती हैं । यूं ही हर रोज़ गुजरता हूं तेरी गली से खिड़की पर नज़र जाती है परदे पर रह जाती है । हंसरतें होती हैं तुम्हें देखने की हंसरते रह जाती हैं । तुमसे मिलना हो भी तो कैसे, सात फेरों से पहले रिश्ता कितना भी मज़बूत हो कुछ दीवारें रह जाती हैं । ©Nikhil Kumar #yun_hi