लाख छिपाए मन को पर मन आप ही ज़ाहिर होय भले सच जग न जाने पर तुझसे बेहतर न जाने कोय कहानी खुद की खुद लिखे फ़िर इल्जाम भला क्यों ले कोय भोगे जब सब सुख तुने तब तु चादर ओढे सोये छाए विपत्ती के साये फ़िर क्यों सब हाए हाए होय! लाख छिपाए मन को पर मन आप ही ज़ाहिर होय ! -मन से #writersofnojoto#poetsofnojoto#writersofintagram#mann#heartknows#truth#hideandseek