अनेक रंग सजाये अंजलि की रंगोली सादगी से लबरेज स्याह को धकेलती कभी हरित बनती कभी लालिमा देती नीली चिड़िया सी नीलाभ को भरती क्षण में लाल होती क्षण में हरा बोती धवल पर्याय होती धर्मेश समांग बोती कविता रंग सजाती कवियत्री रूप पाती। Anjali Jain बहुत धन्यवाद! बहुत दिनों पश्चात आपको पढ़ा।सत्य के दर्शन हुए। #शैली #anjalijain