जाने किस सफ़र के साथी किस सफ़र में चल दिये ना कोई आसरा था फ़िर भी हम निकल दिये! जिसने हमको ठुकराया हर एक मंज़र पर उसी को हम अपना आज और कल दिये !! ~ मिज़ाज इलाहाबादी ✍️ ©Mizaj Allahabadi जाने किस सफ़र के साथी किस सफ़र में चल दिये ना कोई आसरा था फ़िर भी हम निकल दिये! जिसने हमको ठुकराया हर एक मंज़र पर उसी को हम अपना आज और कल दिये !! ~ मिज़ाज इलाहाबादी ✍️