इश्क और सकून ही मुहब्बत का बैरी होता मुहब्बत ही मुहब्बत का बैरी होता .... इश्क गर चाहिए सकून भूल जाओ सकून गर चाहिए इश्क भूल जाओ ..… मुहब्बत किताबों में ही अच्छे लगते हैं घर और मुहल्ले ही मुहब्बत के बैरी लगते हैं .... अपना मुहब्बत ही प्यारा लगता है दुसरे का मुहब्बत हमेशा खटकता है.... किस ग्रह के निवासी हो धरती के तो नहीं लगते हो इश्क भी चाहते हो और सुकून भी ढूंढते हो,,... दिल और दिमाग से पैदल लगते हो ...... जून जुलाई की रात में ओस की बून्द ढूंढते हो..! 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey इश्क और सकून ही मुहब्बत का बैरी होता मुहब्बत ही मुहब्बत का बैरी होता .... इश्क गर चाहिए सकून भूल जाओ सकून गर चाहिए इश्क भूल जाओ ..… मुहब्बत किताबों में ही अच्छे लगते हैं घर और मुहल्ले ही मुहब्बत के बैरी लगते हैं ....