एक हादसा घर चलाता है अखबारों का भले तमाशा क्यों ना बने पीड़ित बाजारों का बड़ी रफ़्तार से जुर्म तेह हो जाता है नजाने कौनसा हक़ है पत्रकारों का सनसनी फैल जाती है हवाओं में माहौल सम्भल जाता है गुनाहगारों का मोमबत्तियां जलती रह जाती है इन्साफ़ दब जाता है दावेदारों का ©Neeraj Sharma #IndianMedia #bakwas