तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है ,नवाबी है लगी है होड़ सी देखो अमीरी औ गरीबी में ये गांधीवाद के ढांचे की बुनियादी खराबी है तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के यहां जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है ©अदम गोंडवी #adamgondvi #poetry #poetry #politics