जलने लगे है लोग मेरी क़ाबिलियत से ""ललित " काश किसी ने मेरी तपन के निशाँ देखें होते ! बहुत गिर के सीखा है संभलना मैंने काश किसी ने मेरी चोट के निशाँ देखें होते ! हैरान हुए लोग मेरे आशियाने की ऊंचाई देख काश किसी ने मेरे पुराने मकां देखें होते ! चले है लोग सूरज पर उंगलियाँ उठाने काश किसी ने दीपक छूने के अंजाम देखें होते ! क़िस्मत की लकीरों से मंजिले नहीं मिला करती काश किसी ने काबिलियत के अहसान देखें होते !