जब जब तू रूठा न्याय और अन्याय में ना कोई फर्क देखा माना , सब क़िस्मत के मारे है ये मेरे कलम........... आज तू भी खुल के अपने छिपे आसुओं को बहा दे हमारे गमों ,खुशियों, तन्हाइयो को लिखते लिखते तू मुस्कुराना जो भूल गया ये मेरे खामोश कलम............... हमारी खामोशी को उतारते उतारते थक से जाते हो बिन कोई शिकायत के खुद ही टूट जाते हो चाहते तो बहुत कुछ कहना फिर क्यों खामोश क्यों हो जाते हो ये मेरे खामोश कलम.............। ©Sheetal Verma खामोश कलम कुछ कहता है......,#kalam #Dard #Bejuban #Kya #kahta #Hain #darsyekalam #Raj #Anhoni