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स्वास्थ्य हीं जीवन है, योग बूटी संजीवन है। शुद्ध

स्वास्थ्य हीं  जीवन है,
योग बूटी संजीवन है।
शुद्ध  जल  से बनता तन  गंगा,
बिन    पानी    बदन    बदरंगा।
हरा     भाजी    शुद्ध    भोजन,
जीवन   मिलत  अनंत   योजन।
नशा  नर्क  है   स्वस्थ  तन   का,
जुबां  दुआ  है ‌आत्म   मन  का।
मुस्कुराहट   दवा   है  शक्ति   है,
जीवन रक्षक ईश्वर कि भक्ति है।
शक्ति स्वरुप अंधेरा नहीं किरण है,
योग बूटी संजीवन है।।
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प्रमोद मालाकार की खलम से

©pramod malakar
  #स्वास्थ हीं जीवन है।

#स्वास्थ हीं जीवन है। #कविता

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