यः इच्छत्यात्मनः श्रेयः प्रभूतानि सुखानि च। न कुर्यादहितं कर्म स परेभ्यः कदापि च।। जो व्यक्ति अपना कल्याण एवं अनन्त सुख चाहता है, उसे कभी भी दूसरे का अहित कर्म नहीं करना चाहिए।। #firstquote #sanskrit #संस्कृतम्