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मेरी शख़्सियत पे क्यूं हैरानी है दिले हज़र है आंखो

मेरी शख़्सियत पे क्यूं हैरानी है
दिले हज़र है आंखों में पानी है

हिमाक़ते सरेआईना नहीं मुझमें
पय दऱ पय होती  पशेमाऩी है

रूह तो कब की उड़ा दी मैंने
खाली मक़ान बस जि़स्मानी है

मिलूंगा इक रोज मैं भी वहीं
मुझे ढूंढ़ना जहां अर्से सानी है 

इक मसला था मैं मद्देनज़र
अब सुकून की ये गुमनामी है

मुश्क़ की तरह भटकेगी देखना
मेरी दुआ मस्जि़दी लोबानी है #nojoto #poetry #kavishala #mywrites
मेरी शख़्सियत पे क्यूं हैरानी है
दिले हज़र है आंखों में पानी है

हिमाक़ते सरेआईना नहीं मुझमें
पय दऱ पय होती  पशेमाऩी है

रूह तो कब की उड़ा दी मैंने
खाली मक़ान बस जि़स्मानी है

मिलूंगा इक रोज मैं भी वहीं
मुझे ढूंढ़ना जहां अर्से सानी है 

इक मसला था मैं मद्देनज़र
अब सुकून की ये गुमनामी है

मुश्क़ की तरह भटकेगी देखना
मेरी दुआ मस्जि़दी लोबानी है #nojoto #poetry #kavishala #mywrites
dheerajgarg3449

Dheeraj Garg

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