मेरी शख़्सियत पे क्यूं हैरानी है दिले हज़र है आंखों में पानी है हिमाक़ते सरेआईना नहीं मुझमें पय दऱ पय होती पशेमाऩी है रूह तो कब की उड़ा दी मैंने खाली मक़ान बस जि़स्मानी है मिलूंगा इक रोज मैं भी वहीं मुझे ढूंढ़ना जहां अर्से सानी है इक मसला था मैं मद्देनज़र अब सुकून की ये गुमनामी है मुश्क़ की तरह भटकेगी देखना मेरी दुआ मस्जि़दी लोबानी है #nojoto #poetry #kavishala #mywrites