आज़ान से जागी अंगुलियाँ गढ़ती तुलसी के राम चादर बुनते, वेद बाँछते करघे करते काम मंदिर ना कोई जात पूछता,ना मस्जिद माँगे दाम सजे आरती के थालों में सजदे सुबह ओ शाम अकबर भी उस ही मिट्टी का, हैं जिसके घनश्याम हिन्द है सबका, हम सब हिन्दी, बंद करो ये लाम हिंद #hindinama #kavishala #hindi #eyeforindia #hanmainhindostan #iforindia