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बस हो चुकी मेरी, ए जिंदगी, कशमकश में हैं कोई मेरी

बस हो चुकी मेरी, ए जिंदगी, कशमकश में हैं
कोई मेरी रोशनी से मुखातिब कराएं मुझे,

दूर हो चुकी हूं जिंदगी की वास्तविकता से,
कोई तो पास आकर हकीकत से मिलाए मुझे,

बरसों बीत गए हैं मुझे रोते हुए,
काश कोई मेरे पास आकर हसाए मुझे, 🌟 प्रतिदिन प्रतियोगिता- 01

🌟 शीर्षक - कश्मकश  !

 🌟 इस रचना में आपको सिर्फ़ 6 पंक्तियाँ लिखनी हैं, इससे कम या ज़्यादा पंक्तियों में लिखी हुई रचना प्रतियोगिता में मान्य नहीं होगी। 

🌟"COLLAB" करने के बाद "COMMENTS" में "DONE" ज़रूर लिखें, जिससे आपकी रचना तक हम आसानी से पहुँच सके!
बस हो चुकी मेरी, ए जिंदगी, कशमकश में हैं
कोई मेरी रोशनी से मुखातिब कराएं मुझे,

दूर हो चुकी हूं जिंदगी की वास्तविकता से,
कोई तो पास आकर हकीकत से मिलाए मुझे,

बरसों बीत गए हैं मुझे रोते हुए,
काश कोई मेरे पास आकर हसाए मुझे, 🌟 प्रतिदिन प्रतियोगिता- 01

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mrsrosysumbriade8729

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