مُجھے کِ کہیں تُمہاری فِکر کرتے کرتے معےں اپنی فِکر کرنا نا بھوُل جاعون फ़िक्र होती है कि कहीं तुम्हारी फ़िक्र करते करते मैं अपनी फ़िक्र करना ना भूल जाऊँ। जैसा हम चाहते हैं दुनिया वैसे ही चले। ऐसा कब हुआ है? सो फ़िक्र होना लाज़मी है। मगर किस बात की फ़िक्र होती है? #fikrhotihai #collab #yqbhaijan #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Bhaijan