#कीर्ति छंद# --------------------------------------------------------- यह समपाद वार्णिक(वृत्त)छंद है,जिसके एक चरण में 10 वर्ण होते हैं। जिसके चार चरण व प्रत्येक में तीन 'सगण' व अंत में एक गुरु (112,112,112,2) की व्यवस्था है। दो-दो चरणों में सम तुकांत। --------------------------------------------------------- 1- प्रभु ने उपकार किया है। यह मानव जन्म दिया है। हम आज उठाकर बीड़ा। हर लें अब सबकी पीड़ा।। 2- अपनी यह नश्वर काया। सब ईश्वर की यह माया। हम पाप यहाँ करते हैं। फिर ईश्वर से डरते हैं।। 3- जब जीव यहाँ पर आता। सबसे बनता कुछ नाता।।मनमाफिक ज्यों वह पाता।उसको तब ये जग भाता।। 4- जिसने अति दौलत पायी। उसकी मति ही भरमायी। वह ईश्वर को बिसराता। समझे फिर आप विधाता।। 5- सबको जग से जब जाना। फिर क्योंकर बैर बढ़ाना।। जग याद उसे करता है। सबके दुख जो हरता है।। #हरिओम श्रीवास्तव# #reading