.... शहर के कोलाहल में पली संताने कस्बे,गांव की खामोशियां नही पढ़ सकती…! वो कभी नही समझ पायेंगें कि खट्टे आमों को तोड़ने के लिए गुलेल कैसे बनाई जाती है…! #गांव_की_मिट्टी #शहर_का_शोर