सिगरेट पी लेता हूं जब कभी तेरी याद आती है...! दो कश भरते ही अपनी औकात याद आ जाती है...!! सिगरेट जितनी ही तो कीमत थी मेरी...! तूने होठों से भी लगाया, धुए में भी उड़ाया, और जलाने से पहले दांतो तले भी दबाया...!! हम कंबक्खत समझ बैठे इश्क़ है...! तेरी तलब से ज्यादा कुछ नहीं , ये तो तब समझ आया जब तूने पैरों तले दबाया...!! तेरी तलब तो चल अब, दूसरी सिगरेट मिटा देगी...! लेकिन मेरी तलब का क्या, मुझे ये सिगरेट कैसे सुकून देगी...!! शराब पीते हैं , जाम में तुम नजर आती हो...! जिस रास्ते चलते हैं , उसके अंजाम में तुम नजर आती हो...!! जब तक सिगरेट चलती है, दिल बेहलता है...! सिगरेट कुचलते ही , दिल को तुम याद आ जाती हो...!! सिगरेट कुचलते ही , दिल को तुम याद आ जाती हो...!! (...R@j) #सिगरेट