क्यों ढिंढोरा पीट रहा तू अपनी शौकत शान का और कोई मोहताज ना तेरी इस पहचान का है ऐसा क्या तेरे पास में जो तू घमंड में चूर हैं लाख जहां में तेरे जैसे तेरा मन क्यों ये मगरूर हैं है अब भी वक्त दूर ना तू खुद की सोच को बदल गिरते हुआ को उठा, सदा इसी राह पर चल ©Amit Tanwar #ahenkar