तुम्हारी नजरों से बढ़कर,नही उपहार कोई मेरे जीवन में तुम आये,है ये उपकार कोई। आहट तुम्हारे कदमों की,कौतुहल कर रही है, एहसासों की तिजोरी,भर कर छलक रही है। करूं आरंभ कैसे मैं, खजाना ख्वाब सा है, मेरे जीवन में उतरा चांद मानो,आप सा है। मिलन दो रूह का है,ये जरा जिस्मों से कह दो, बजाओ प्रीत की शहनाईयां,रस्मों से कह दो, घडी क्या खूबसूरत है, हुई वो मेरी पूरक है, बने एक दूसरे को और, दिल में उनकी सूरत है। ©Anand Prakash Nautiyal #शादी#सुहाग#रात#एहसास#बात