क्षितिज व अंतराल का वैभवशाली मिलन हो,धरा ही हमारा सुन्दर सा घर हो, सुमन,कुसुम, पुष्पों की घनी सुंदर वादियां,नित नित नवकिरणों का आगमन हो, चहुँओर फैला हो रश्मिरथी का घनघोर सा उजाला,यही जग ही जन्नत हो, मन मनुहार ,अन्तरात्मा हर प्राणी की तृप्त व संतुष्ट हो यहिं मेरी एक मन्नत हो। #जग_हीं_जन्नत_काव्य_संगीत 👉समय सीमा आज 7:30 Pm से कल 02:30 Pm तक है,प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद comment में time+Done लिखने के वजाय अपनी रचना लिख दीजिए, विजेता घोषित कल रात 10 बजे कर दिया जाएगा। 🎑काव्य संगीत प्रतियोगिता 16 में आपका स्वागत करता है। आप 04 पंक्ति में अपनी सराहनीय श्रेष्ठ उत्कृष्ट अनुपम उत्तम रचना लिखें।📃 #काव्य_संगीत #yqdidi #yqbaba 👉मौलिक रचना लिखें, वो भी भारतीय भाषा में, और रचना की प्रत्येक पंक्ति में सिर्फ़ 01-12 शब्दों हीं प्रयोग करें।