पैरों के छाले भी पुराने हो गए, दर्द भी उसका हिस्सा सा बन गया, उस मज़दूर के घर का रास्ता कितना लंबा हो गया। किसी ने उसे अपनी सियासत,किसी ने हमदर्दी के ढोंग का सहारा बनाया,ये कैसा मंज़र है करोड़ों की इमारत बनाने वाला वो मजदूर आज कौड़ियों के दाम बिक गया। #मज़दूर #godpleasehelp