अब दुनियाँ से क्या डर है, माँ जब तेरी गोद में सर है माँ, है ना माँ! निःस्वार्थ, निश्छल तेरा प्रेम है माँ मंदिर में भगवन, मेरा भ्रम है माँ, तुम चारों धाम से क्या कम है माँ, मेरा संसार तुम्हारे भर है माँ अब दुनियाँ से क्या डर है, माँ जब तेरी गोद में सर है माँ, है ना माँ! तेरी आँचल की सुख साया में रक्त अभीसिंचित मेरी काया है माँ तेरे ममता की घनी छाया में मेरे हर सुख का सागर है माँ अब दुनियाँ से क्या डर है, माँ जब तेरी गोद में सर है माँ, है ना माँ! तु असीमित प्रेम की भंडार है निर्मल स्नेह की पुकार है, माँ तु आदि शक्ति की अवतार है करुणामय स्वभाव की भंडार है, माँ अब दुनियाँ से क्या डर है, माँ जब तेरी गोद में सर है माँ, है ना माँ! ~अभिजीत अब दुनियाँ से क्या डर है, माँ जब तेरी गोद में सर है माँ, है ना माँ! निःस्वार्थ, निश्छल तेरा प्रेम है माँ मंदिर में भगवन, मेरा भ्रम है माँ, तुम चारों धाम से क्या कम है माँ, मेरा संसार तुम्हारे भर है माँ