बड़ा ही अजीब सा रिश्ता है तेरे मेरे दरमियां.. साथ न होकर भी साथ रहते हैं.. पास न होकर भी हमेशा पास रहते हैं... ज़िन्दगी के अनजान मोड़ पे यूं मुसाफिर बन गए कि... मिलने की खुशी न सही पर तुझसे बिछड़ने से डरते हैं... न जाने कैसे तुझसे ये दिल के तार से जुड़ गए... किसी से यूँ ही नही बनते रिश्ते..पर तुझसे ये आज जुड़ गए... बड़ी ही अतरंगी सी यारी है अपनी... कभी तुम हमसे कभी हम तुमसे कुछ खास कह गए.. किसी से यूँ ही नही जुड़ते रिश्ते पर तुझसे ये आज जुड़ गए..… मेरी खामोशियाँ अब तू बखुबी समझने लगी है.. तेरे साथ ये दोस्ती अब और भी सवरने लगी है... मेरी मुस्कुराहटों का दौर अब थमता नही.. तेरे साथ ये मुस्कान और भी सजने लगी है.. तेरे साथ ये दोस्ती अब ओर भी सवरने लगी है... खुशी में गम में तेरे साथ हमेशा रहना... अब तो ऐ-दोस्त तेरी आदत सी लगने लगी है.. तुझसे एक नही कई रिश्ते बना लिए हैं मैंने.. अब इस कदर ये दोस्ती बढ़ने लगी है.. अब तो ऐ-दोस्त तेरी आदत सी लगने लगी है... कभी जो बुरा वक्त आए.. तो संभाल लेना इस प्यारे से बंधन को... की तुझसे रुख़सत होने के ख्याल से ही ये सांसे थमने लगी हैं.. अब इस कदर ये दोस्ती बढ़ने लगी है... #अजीब#रिश्ता#दरमियां#पास#साथ#ज़िन्दगी#अनजान#मोड़#मुसाफिर#अतरंगी#बिछड़ना#दिल#तार#बखूबी#खामोशी#संवरने#आदत#बंधन#खयाल#सांसे#दोस्ती