चपल, चंचल, चिंतामणि, जिसकी लेखनी न शर्माती । इलाहाबाद में बीता बचपन, जयपुर में अल्हड़ घूमें । पुणे में इंसान बने, परदेस में साहब हुए । दूर रहकर मिट्टी से थोड़ा कुछ जो सीखा, पन्नों में ही रह जाता था सरीखा । कॉमिक और फिल्मों का प्यार न छूटा, फिर एक दिन YQ का छींका फूटा । सोते शायर ने करवट ली । लेखनी फिर बोल पड़ी । आज कुछ महीने हो चले हैं । अभी भी हम तो बस कह रहे हैं ।। Click to check out my current works below #CalmKaziWrites 👇 STORIES #HTBKRT (हम तो बस कह रहे थे - Small Town Musings) #ThumbSizedStories (Short Stories) #CalmKaziStories (Stories in Episodes)