इन आकांक्षाओं का कहां है बसेरा। जरा मिलूं तो मैं उससे क्या राज है उसमें जो खींचता है बार-बार मुझे क्यों ऐसी अठखेलियां करता है जो ठेस मुझको पहुंचाता है अपनी आकांक्षाओं से अवगत तो कराता है क्या वो सब कुछ तू दे पाएगा मुझे इन आकांक्षाओं का कहां है बसेरा जरा मिलूं तो मैं उससे। #devinasri#poetry#आकांक्षाएं#बसेरा#अठखेलियां#इलाज#☺️☺️