अनकही बातें भी महसूस हों, ऐसी रूहानियत अब कहाँ मिले। मिले राहत दर्द-ए-ग़म से, ऐसी ग़म-ए-हयात अब कहाँ मिले। ~Nishat Hashmi #walkingalone #NishhShayari