एक किताब के मानिंद लगते हो तुम, बंद, एक मेज़ के कोने पर लापरवाही से रखी हुई| आते जाते कितने हाथों ने छुआ है जिसे, उठा कर, उलट- पलट कर देखा है और फिर रख दिया है उसी मेज़ के किसी और कोने पर| #RDV19