Dear Diary #तकाजा_उम्र_का वो भी क्या दिन थे,जितना ज्यादा अपने घर पर रहते थे उतना ही परिपूर्ण संस्कार वाले कहे जाते थे। पर अब तो उम्र के उस पड़ाव में आ खड़े है कि चचा लोग कहते है कि ससुर को किसी से प्रीत ही ना ह, दिन भर घर ही दुबकल रहेले। ✍️आशुतोष यादव #diary #उम्रकातजुर्बा #उम्र_की_बंदिशें_हैं #समाज_की_हकीकत #समाजिक_परिवर्तन मन की आवाज..