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फसलें तो अब युं ही सुख चले हैं, बारिश के मौसम में

फसलें तो अब युं ही सुख चले हैं,
बारिश के मौसम में पेड़ों के पत्ते झड़ चले हैं,
मिल का पत्थर यूं ही तो हिस्से नहीं आता,
लगता है परिंदे फिर से अपने घर चले हैं।।



~आशुतोष दुबे #खोता जमाना पतन की गहराई में,
गरीब मर रहा गरीबी की दवाई में।
फसलें तो अब युं ही सुख चले हैं,
बारिश के मौसम में पेड़ों के पत्ते झड़ चले हैं,
मिल का पत्थर यूं ही तो हिस्से नहीं आता,
लगता है परिंदे फिर से अपने घर चले हैं।।



~आशुतोष दुबे #खोता जमाना पतन की गहराई में,
गरीब मर रहा गरीबी की दवाई में।