जिगर का टुकड़ा जिस ' जिगर के टुकड़े ' के अलावा हमारा कोई सहारा ना था, उस ' जिगर के टुकड़े ' को विदेश से आना गवारा ना था, उसके इंतज़ार में रो रोकर सूख गई है आँखें, अब तिल तिल के मरने के अलावा कोई चारा ना था।। #Relationships#December#DarkShayari#kharibaatein#nojoto#nojotohindi#nojotoshayari#life#SircasticSaurabh