कभी हमारा भी ज़िक्र हो; आपकी जुबाँ पर महफ़िल में रौनक आए गुलिस्ताँ-ए-सबा पर ख़ुदा की तालिम में ताबीर बने यह जिन्दगी यकीं इतना करते है हम अपने उस ख़ुदा पर मेरी साँसो में बस गया है तू धड़कन बनकर कभी तुझे भूल न पाएँगे; होंगे चाहे जुदा पर दर्दे सहरा में भटकते है एक बूँद प्यास लेकर बरसा दे बारिशे समंदर; मेरी किसी अदा पर मेरी आँखो में झाँक, नज़र आएँगी वफा तुझे चाहनेवाले थे बहुत, तुझ पे ही हुए फ़िदा पर महफ़िल-महफ़िल तुम ग़ैरों की बातें करते रहते हो। कभी हमारा ज़िक्र भी हो। #हमाराज़िक्र #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi