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कान्हा तेरे रूप अनेक, भजता तुझको हर एक। गीता का तु

कान्हा तेरे रूप अनेक, भजता तुझको हर एक।
गीता का तुमने ज्ञान दिया, अर्जुन के रहे सखा नेक।।
लीलाधर की लीला न्यारी, वाह मुरलीधर की टेक।
गोपियों संग खेल खिलावत,हो सब देवों के देव ।।

©Shubham Bhardwaj
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