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ये कैसी कड़वाहट रिश्तों में घोल रहा है तू ज़हर कौनसा

ये कैसी कड़वाहट रिश्तों में घोल रहा है तू
ज़हर कौनसा मेरे जिस्म में घोल रहा है तू

ऐसी तो न थी मुहब्बत तेरी पहले कभी
ये क्या क्या मेरे बारे में बोल रहा है तू

अनमोल हूँ मैं तेरे लिए कहा था तूने मुझे
फ़िर क्यों मुझको घड़ी घड़ी तोल रहा है तू

बुनियाद यूँ कमजोर तो न थी तेरी मेरी कभी
चादर दिल-फ़रेब की क्यों ओढ़ रहा है तू

बेपरवाह था 'सफ़र' मेरा तेरे संग ज़ीस्त का
बीच मझधार में ही मुझे क्यों छोड़ रहा है तू ♥️ Challenge-578 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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ये कैसी कड़वाहट रिश्तों में घोल रहा है तू
ज़हर कौनसा मेरे जिस्म में घोल रहा है तू

ऐसी तो न थी मुहब्बत तेरी पहले कभी
ये क्या क्या मेरे बारे में बोल रहा है तू

अनमोल हूँ मैं तेरे लिए कहा था तूने मुझे
फ़िर क्यों मुझको घड़ी घड़ी तोल रहा है तू

बुनियाद यूँ कमजोर तो न थी तेरी मेरी कभी
चादर दिल-फ़रेब की क्यों ओढ़ रहा है तू

बेपरवाह था 'सफ़र' मेरा तेरे संग ज़ीस्त का
बीच मझधार में ही मुझे क्यों छोड़ रहा है तू ♥️ Challenge-578 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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