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अब तो ग़मों का बाजार लेकर चलता हूँ, एक नहीं हजार ल

अब तो ग़मों का बाजार लेकर चलता हूँ,
एक नहीं हजार लेकर चलता हूँ,
घुट - घुट के जीने की आदत पड़ गयी है,
इसलिए अब तो घुटन का हथियार लेकर चलता हूँ,
दिल में तो सिर्फ ग़म है,
इसलिए दिल में ग़मों का गुबार लेकर चलता हूँ,
                                   आकाश R मिश्रा #@चलता हूँ
अब तो ग़मों का बाजार लेकर चलता हूँ,
एक नहीं हजार लेकर चलता हूँ,
घुट - घुट के जीने की आदत पड़ गयी है,
इसलिए अब तो घुटन का हथियार लेकर चलता हूँ,
दिल में तो सिर्फ ग़म है,
इसलिए दिल में ग़मों का गुबार लेकर चलता हूँ,
                                   आकाश R मिश्रा #@चलता हूँ