एक माँ का बलिदान(पन्ना धाय) पन्ना के बलिदान को न भूल सकेगा इतिहास कभी, वो तुम ही थी महान एक माँ जिसने देकर अपने पुत्र की कुर्बानी मेवाड़ की रक्षा करके मेवाड़ी परिवेश को था बचाया,आया जब बनवीर रक्त में डूबी तलवार लिये,कहती किससे वो एक माँ पीड़ा अपने मन की,जब राजकुवँर की सेज पर वार करे अनगिनत बनवीर,चंदन का बलिदान देकर पन्ना धरे है धीर,चंदन को उदय समझ कर बनवीर ने किया तलवार से पहला वार, चंदन लहुलुहान हो गया जब बही लहु की धार, उफ ..! तक न किया उस माँ ने बचाने जान राजकुवँर की ख़ातिर,चुप रह कर मन पर पत्थर रख कर किया उस भयानक मंज़र का सामना क्या बीती होगी उस माँ पर जब उसके लाल को उसी के सामने किया होगा लहुलुहान प्रणाम ऐसी माँ को जिसने अपने जिगर के टुकड़े का बलिदान दिया,बचा कर मेवाड़ की आन बान शान को इतिहास के सुनहरे अक्षरो की किताब में अपना नाम एक वीरांगना सशक्त निडरता की मूरत के रूप में एतिहासिक किया, मेवाड़ की पृष्ठभूमि बचाने की ख़ातिर कर दिया कुर्बान अपने जिगर के टुकड़े का,सलाम है ऐसी माँ पन्नाधाय का जिसने एक नया इतिहास रचा, #tarunasharma0004 #trendingquotes #hindipoetry #yourquotedidi #मेवाड़