क्या तृष्णा में कान्हा भी अपनी राधा के प्रति होगा?? कैसे फिर वह स्वयं ही निर्मित अपनी अनुपम कृति होगा? तथ्य गलत गर जगत में फैला जग भी फिर इक विकृति में होगा, परे जगत के किसी द्वारका में कान्हा राधापति होगा।। प्रेम जगत में निर्बंधन भी और अगर यह पूर्ण भी है, रिक्ति क्यूँ खोजे मानव दूजा यार भी तेरा अपूर्ण ही है? कान्हा बसता इसी प्रकृति में प्रकृति निरंतर घूर्ण सी है, क्यूँ खोजे तू रिक्त पूर्णता प्रेम कुछ नहीं चूर्ण ही है।।। निर्बाधित बंधन भी जब-जब,बाधित होकर टूट गया भक्ति में शक्ति का पौरूष भी, तम के आगे फूट गया फिर मंडराया अमर दृश्य ,और वाहन-वाहक-वाहकता एक ध्यान की मर्यादा में ,अपना भगवन लूट गया ।। कथनी और करनी में अंतर,कैसे आखिर प्रति होगा मथुरा के हर रास में कान्हा ,अब से प्यारी क्षति होगा ।। @"निर्मेय" ©purab nirmey #namobhagwatevasudevay #DearKanha