मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं
जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं,
आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं
स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं
वस्त्र जिसका सिंह छाल हैं,
मुठ्ठी में जिसके तीनों काल हैं,
वहीं नीलकंठ वहीं महाकाल हैं,
काशी में विश्वनाथ तों #Hindi#Hindu#कविता#mahadev#sawan#Somnath#somnathMandir