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क्या हो अगर आपको 10 करोड़ की लॉटरी लग जाये क्या आप

 क्या हो अगर आपको 10 करोड़ की लॉटरी लग जाये

क्या आपको लगता है आप वाकई हमेशा के लिये खुश और सुखी हो जायेंगे तो ... भूल जाईये और मेरा ये आलेख ध्यान से पढ़िये .  
जरा कल्पना कीजिये कल को आपको 10 करोड‌ की लॉटरी लग जाती है , और आप हम जैसों में से ही एक हैं , तो बेशक़ आप हवा में उड़ने लगेंगे , आपको अपनी किस्मत पर एकाएक भरोसा नहीं होगा . पर क्या अपनी इस खुशी को अगले कुछ सालों बाद भी  बरक़रार रख पायेंगे ? शायद नहीं .... जिसे हम खुशी कहते हैं दरअसल वो तात्कालिक उत्तेजना का फल होता है. 
ऐसे 22 लॉटरी  विजेताओं पर हुये एक बेहद प्रचारित और प्रसिद्ध अध्ययन से तो कुछ और ही नतीज़ा निकला है.अध्ययन ने बताया कि इंसान की औसत खुशी और खुश रहने की आदत में  ऐसे कंट्रोल ग्रुप जिन्होने कोई लॉटरी नहीं जीती थी , की तुलना में , कोई सुधार परिलक्षित नहीं हुआ. 
ज्यादतर मामलों में तो ये पाया गया कि लोग  जीतने के बाद वस्तुत: कम  खुश पाये गये. बाद के अध्ययनों ने तो स्थापित कर ही दिया कि हमारी  सुख , दु:ख , खुशी , चिंता जैसी मानवीय भावनाये,   हमारी सामजिक हैसियत और  संपन्नता से एक सीमा के बाद, प्रभावित होना बंद  हो जाती हैं. 
इस  घटना को  #hedonic #treadmill  या  hedonic adaptation कहते हैं .हेडोनिक ट्रेडमिल, जिसे हेडनिक अनुकूलन भी कहा जाता है, मानवों की प्रमुख प्रवृत्ति या सकारात्मक परिवर्तन या जीवन में परिवर्तन के बावजूद मनुष्यों की तत्काल स्थिर स्तर पर लौटने की प्रवृत्ति है।  
इस सिद्धांत के मुताबिक, जब एक व्यक्ति अधिक पैसे कमाता है, तो उसकी अपेक्षाओं और इच्छाओं में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप उसे खुशी में कोई स्थायी लाभ नहीं होता है। ब्रिकमैन और कैंपबेल ने अपने निबंध "हेडोनिक रिलेटीविज़्म एंड प्लानिंग द गुड सोसाइटी" (1 9 71) में इस शब्द को  सबसे पहले प्र्योग किया था .
 क्या हो अगर आपको 10 करोड़ की लॉटरी लग जाये

क्या आपको लगता है आप वाकई हमेशा के लिये खुश और सुखी हो जायेंगे तो ... भूल जाईये और मेरा ये आलेख ध्यान से पढ़िये .  
जरा कल्पना कीजिये कल को आपको 10 करोड‌ की लॉटरी लग जाती है , और आप हम जैसों में से ही एक हैं , तो बेशक़ आप हवा में उड़ने लगेंगे , आपको अपनी किस्मत पर एकाएक भरोसा नहीं होगा . पर क्या अपनी इस खुशी को अगले कुछ सालों बाद भी  बरक़रार रख पायेंगे ? शायद नहीं .... जिसे हम खुशी कहते हैं दरअसल वो तात्कालिक उत्तेजना का फल होता है. 
ऐसे 22 लॉटरी  विजेताओं पर हुये एक बेहद प्रचारित और प्रसिद्ध अध्ययन से तो कुछ और ही नतीज़ा निकला है.अध्ययन ने बताया कि इंसान की औसत खुशी और खुश रहने की आदत में  ऐसे कंट्रोल ग्रुप जिन्होने कोई लॉटरी नहीं जीती थी , की तुलना में , कोई सुधार परिलक्षित नहीं हुआ. 
ज्यादतर मामलों में तो ये पाया गया कि लोग  जीतने के बाद वस्तुत: कम  खुश पाये गये. बाद के अध्ययनों ने तो स्थापित कर ही दिया कि हमारी  सुख , दु:ख , खुशी , चिंता जैसी मानवीय भावनाये,   हमारी सामजिक हैसियत और  संपन्नता से एक सीमा के बाद, प्रभावित होना बंद  हो जाती हैं. 
इस  घटना को  #hedonic #treadmill  या  hedonic adaptation कहते हैं .हेडोनिक ट्रेडमिल, जिसे हेडनिक अनुकूलन भी कहा जाता है, मानवों की प्रमुख प्रवृत्ति या सकारात्मक परिवर्तन या जीवन में परिवर्तन के बावजूद मनुष्यों की तत्काल स्थिर स्तर पर लौटने की प्रवृत्ति है।  
इस सिद्धांत के मुताबिक, जब एक व्यक्ति अधिक पैसे कमाता है, तो उसकी अपेक्षाओं और इच्छाओं में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप उसे खुशी में कोई स्थायी लाभ नहीं होता है। ब्रिकमैन और कैंपबेल ने अपने निबंध "हेडोनिक रिलेटीविज़्म एंड प्लानिंग द गुड सोसाइटी" (1 9 71) में इस शब्द को  सबसे पहले प्र्योग किया था .