आदमी ने उतार फेंका अपनी देह से आत्मा को । अब वह पूरी तरह से आदमखोर जानवर है ।। ~©अंजली राय हमने जब भी आकाश की तरफ देखा ; नभचर परिंदे बन गए कभी हम हांफते रहे थकते रहे पर उड़ने की चाह न छोड़ पाए हम गिरे फिर उठे फिर गिरे और दौड़ते रहे दौड़ते रहे घोड़ों की तरह।