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आदमी ने उतार फेंका अपनी देह से आत्मा को । अब वह

आदमी ने  उतार फेंका अपनी देह से 
आत्मा को ।
अब वह पूरी तरह से आदमखोर
 जानवर है ।।

~©अंजली राय  हमने जब भी आकाश की तरफ
देखा ; नभचर परिंदे बन गए 
कभी हम हांफते रहे थकते रहे 
पर उड़ने की चाह न छोड़ पाए

हम गिरे फिर उठे फिर गिरे
और दौड़ते रहे दौड़ते रहे 
घोड़ों की तरह।
आदमी ने  उतार फेंका अपनी देह से 
आत्मा को ।
अब वह पूरी तरह से आदमखोर
 जानवर है ।।

~©अंजली राय  हमने जब भी आकाश की तरफ
देखा ; नभचर परिंदे बन गए 
कभी हम हांफते रहे थकते रहे 
पर उड़ने की चाह न छोड़ पाए

हम गिरे फिर उठे फिर गिरे
और दौड़ते रहे दौड़ते रहे 
घोड़ों की तरह।