कभी हम भी नजारों के नजारे खूब करते थे, मोहब्बत में निगाहों से इशारे खूब करते थे/ आज मझधार में डूबे तो सब कुछ याद फिर आया, कभी गैरों की किश्ती को किनारे खूब करते थे// ©Dileep Baghel #boat_Hindi_Shayari कभी हम भी नजारों के नजारे खूब करते थे, मोहब्बत में निगाहों से इशारे खूब करते थे/ आज मझधार में डूबे तो सब कुछ याद फिर आया, कभी गैरों की किश्ती को किनारे खूब करते थे//