वो एक तारा था जो रोज चमका करता था, वो एक चाँद था जो अक्सर दिखा करता था । पर रिश्ते की गहरायी को समझ ना पाये दोनों क्योकी चाँद अक्सर चला करता था। खामोशी थी दोनों के चेहरों पर क्योकी चाँद कभी कभी मिला करता था। वो एक तारा था जो रोज चमका करता था, बहुत मगरूर था वो चाँद अपने खूबसूरति पर क्योकी उसे अपने ऊपर का दाग कभी नही दिखा करता था। वो एक तारा था जो रोज चमका करता था। वो चाँद रोज खुद को सजाया करता था। पर वो तारा वैसा ही दिखा करता था। वो चाँद खूबसूरत तो था पर दूसरे के रोशनी से जगमगाया करता था। हर पूर्णिमा की रात को वो तारे को चीडाया करता था। पर उसे समझ ना था की अमावश्य की रात को भी तारा जगमगाया करता था। वो एक तारा था जो रोज चमका करता था।