2015 में लिखा एक शेर रुके जो वो थमे थे हम ही रोये जो वो सिसके थे हम ही उनकी साँसो में अटकी थी हमारी साँसें गये जो वो बिखरे थे हम ही।। ©अंकित सारस्वत #nojotowriters#olddiary #puraniyaden Sudha Tripathi indira कवि राहुल पाल